कलेक्टर विनीत नंदनवार की विशेष पहल लाई रंग, बस्तर से निकले 47 आदिवासी छात्रों ने क्लियर किया NEET

कलेक्टर विनीत नंदनवार की विशेष पहल लाई रंग, बस्तर से निकले 47 आदिवासी छात्रों ने क्लियर किया NEET

स्टोरी हाइलाइट्स

जिले के आदिवासी बच्चों को जेईई और नीट की तैयारी कराने कलेक्टर विनीत नंदनवार ने विशेष पहल की। खासकर ड्रापर्स बच्चों को उन्होने दूसरा अवसर प्रदान कराया। इस अभिनव पहल के परिणाम ने सबको हैरत में डाल दिया। छू लो आसमान कारली और बालूद दो संस्थाओं में से कुल 64 छात्र छात्राओं ने प्रतियोगी परीक्षा जेईई और नीट के लिये परीक्षा दी। जिसमें 64 ड्रापर्स में से 47 छात्र - छात्राओं ने दूसरे मौके पर अपना लोहा मनवाया और प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित हुए।

दंतेवाडा। जिले के आदिवासी बच्चों को जेईई और नीट की तैयारी कराने कलेक्टर विनीत नंदनवार ने विशेष पहल की। खासकर ड्रापर्स बच्चों को उन्होने दूसरा अवसर प्रदान कराया। इस अभिनव पहल के परिणाम ने सबको हैरत में डाल दिया। छू लो आसमान कारली और बालूद दो संस्थाओं में से कुल 64 छात्र छात्राओं ने प्रतियोगी परीक्षा जेईई और नीट के लिये परीक्षा दी। जिसमें 64 ड्रापर्स में से 47 छात्र - छात्राओं ने दूसरे मौके पर अपना लोहा मनवाया और प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित हुए।


कलेक्टर विनीत नंदनवार ने ड्रापर्स बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिये एक और मौका प्रदान किया। इसके लिये छू लो आसमान कारली और बालूद में ड्रापर्स की एक अलग बैच तैयार कराई। दोनों ही संस्थाओं में 50-50 बच्चों को मौका देने संस्था प्रमुखों को निर्देशित किया। बालूद में 29 बच्चे इसके लिये तैयार हुए तो वहीं कारली में 35 ड्रापर्स ने तैयारी शुरू की। परीक्षा के बाद जब इसके परिणाम सामने आये तो सब हैरान रह गये। बालूद के 29 ड्रापर्स में 19 बच्चों ने क्वालीफाई किया। इधर कारली की ड्रापर छात्राएं भी इस मामले में पीछे नहीं रहीं। कारली के 35 में 28 छात्राओं ने नीट क्वालीफाई कर डाला।


कलेक्टर खुद करते थे मानिटरिंग

खास बात ये है कि इन बच्चों की परीक्षा की तैयारी पर कलेक्टर विनीत नंदनवार की पूरी नजर थी। इन बच्चों के टाईम टेबल, सेल्फ स्टडी को लेकर वे समय समय पर निर्देशित करते रहे और मॉनिटरिंग भी उन्होंने ही की। ड्रापर्स की क्लास सुबह आठ से शाम पांच बजे तक लगती थी। इसके बाद एक घंटे के ब्रेक पश्चात वे सेल्फ स्टडी में जुट जाते थे। ये ड्रापर्स शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक सेल्फ स्टडी करते थे। ड्रापर्स बच्चों का हर महीने में तीन माईनर टेस्ट और एक बार वृहद सिलेबस का टेस्ट लिया जाता था। परीक्षा की तैयारी के लिये ड्रापर्स को हर टापिक पर 100 से 150 प्रश्न दिये जाते थे। जिसकी अलग से फाईलिंग की जाती थी और बार बार रिवीजन कराया जाता था। परिणाम के लिये संस्था  प्रमुख और बच्चे कलेक्टर को श्रेय दे रहे हैं।


घर घर जाकर किया संपर्क 

जिन ड्रापर्स बच्चों का चयन इन प्रतियोगी परीक्षाओं में हुआ है उनसे घर घर जाकर संस्था प्रमुखों ने संपर्क किया। जो बच्चे किसी अन्य परीक्षा की तैयारी में नहीं जुटे थे ऐसे बच्चों को दुबारा संस्था में लाकर दूसरा मौका दिया गया।


एक और मौका जरूरी 

कलेक्टर विनीत नंदनवार बताते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने में उन्हें चार प्रयास करने पड़े, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि छात्रों के लिए अपने सपनों को पूरा करने का एक और अवसर प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। पहले प्रयास में असफल होेने वालों को हमेशा अन्य अवसर प्रदान करना चाहिए। कलेक्टर श्री नंदनवार कहते हैं कि जिन ड्रापर्स को हमने दूसरा मौका दिया, उन्होने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। कलेक्टर ने बताया कि आने वाले साल में ये संख्या और बढाई जायेगी और हमारा लक्ष्य है कि अगली बार जिले से 100 से बच्चों का चयन हो सके। वहीं ड्रापर्स बैच की सीट्स में भी वृद्धि की जायेगी।