101 साल पहले आज ही के दिन जन्मे थे सुरों के सरताज

Rahul Garhwal 
मुंबई। प्यार हुआ इकरार हुआ है, ऐ मेरी जोहरा जबीं, ऐ मेरे प्यारे वतन, तू प्यार का सागर है, कसमें वादे प्यार वफा सब, एक चतुरनार, जिंदगी कैसी है पहेली, लागा चुनरी में दाग, चलत मुसाफिर मोह लियो रे पिंजड़े वाली मुनिया, ऐ भाई जरा देख के चलो, ये रात भीगी-भीगी और ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेगे जैसे 4 हजार गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाले सुरों के सरताज मन्ना डे का जन्म 1 मई 1919 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था । मन्ना डे का असली नाम प्रबोध था, मन्ना उनका निक नेम था । उनके चाचा उन्हें मन्ना कहकर बुलाते थे और यही नाम आज दुनिया जानती है ।

पिता का सपना था वकील बनें मन्ना डे
मन्ना डे के पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे । मन्ना डे की पढ़ाई कोलकाता में ही हुई । उन्होंने स्कॉटिश कॉलेज को आगे की पढ़ाई के लिए चुना, लेकिन पिता उन्हें वकील बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने मन्ना डे का एडमिशन विद्यासागर कॉलेज में करा दिया ।

चाचा केसी डे से मिली संगीत की प्रेरणा
मन्ना डे के चाचा केसी डे एक सिंगर थे । वह नेत्रहीन थे, लेकिन उन्हें संगीत की गहरी समझ थी । मन्ना डे ने अपने चाचा से ही संगीत सीखा था । 1943 में मन्ना डे अपने चाचा के साथ मुंबई आ गए थे, जिसके बाद उनके संगीत के सफर की शुरुआत हुई ।

'रामराज्य' फिल्म में गाया पहला गाना
1943 में मन्ना डे को 'रामराज्य' फिल्म में अपना पहला गाना गाने का मौका मिला, हालांकि यह गाना उन्होंने कोरस में गाया था । 'रामराज्य' एक ऐसी फिल्म थी जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने देखा था । 'रामराज्य' फिल्म में गाया गाना धार्मिक था, इसके बाद मन्ना डे को सिर्फ धार्मिक गानों के ऑफर आने लगे । धार्मिक गानों की छवि से बाहर निकलने के लिए मन्ना डे को लगभग 7 साल लगे ।

प्लेबैक सिंगर के तौर पर पहला गाना सुरैया के साथ
मन्ना डे ने 1943 में ही सुरैया के साथ बतौर प्लेबैक सिंगर अपना पहला गाना गाया । मन्ना डे की गायकी में जादू था, वह शब्दों में छिपे भाव को खूबसूरती से सामने लाते थे । महान कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपनी 'मधुशाला' को मन्ना डे की आवाज दी थी ।

'काबुलीवाला' से चमके मन्ना डे
1961 में आई फिल्म काबुलीवाला में मन्ना डे ने 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गाया जिसे लोगों का खूब प्यार मिला । इस गाने ने मन्ना डे को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया । 'आवारा' फिल्म में 'चांद तेरे बिन ये चांदनी' काफी लोकप्रिय हुआ । इसके बाद मन्ना डे को कई बड़ी फिल्मों में गाने का मौका मिला । मन्ना डे ने कई गानों को अपनी आवाज देकर अमर कर दिया ।

मन्ना डे को मिले कई पुरस्कार
1971 में भारत सरकार ने मन्ना डे को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया था । उन्हें 2005 में पद्म भूषण पुरस्कार भी मिला था । 1985 में मध्यप्रदेश सरकार ने मन्ना डे को लता मंगेशकर पुरस्कार से नवाजा था । 2005 में महाराष्ट्र सरकार ने मन्ना डे को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड दिया था । 2011 में मन्ना डे को फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और पश्चिम बंगाल सरकार ने बंग-विभूषण से सम्मानित किया था ।

संगीत की दुनिया का वो काला दिन
24 अक्टूबर 2013, संगीत की दुनिया का काला दिन था, जब महान प्लेबैक सिंगर मन्ना डे ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया । 94 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से बेंगलुरु में मन्ना डे का निधन हो गया । मन्ना डे छाती के इन्फेक्शन से पीड़ित थे । संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह मन्ना डे भले ही इस दुनिया से चले गए हैं, लेकिन अपने पीछे सदाबहार नगमों की ऐसी अनूठी विरासत छोड़ गए हैं, जिसे कई पीढ़ियां गुनगुनाती रहेंगी ।