अमेरिका के कोविड एक्सपर्ट की चेतावनी, वैक्सीन के दूसरे डोज में लंबे गैप से संक्रमण का खतरा ज्यादा

भारत में कोरोना माहमरी को मात देने के लिए पिछले साल दिसंबर से देश भर में टीकाकरण चल रहा है। साथ ही इसमें समय-समय पर काफी बदलाव भी हुए हैं। देश में टीकाकरण की शुरुआत सिरम इंस्टीट्यूट के टीके कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन से हुई थी। मार्च के बाद कोरोना की दूसरी लहर आने से टीकाकरण की प्रक्रिया में बदलाव किए गए। जिसमे कोविशेल्ड टीके के दूसरे डोज़ की अवधि बढ़ा दी गई। पहले इस टीके के दूसरे डोज का समय पहले डोज के 6 से 8 हफ्ते का था, जिसे बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते तक कर दिया गया है। हाल ही में अमेरिका के सबसे बड़े कोविड एक्सपर्ट डॉ. एंथनी फाउची ने दूसरे डोज में हो रहे लम्बे अंतर पर अपने राय देते हुए कहा है कि, इससे संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है।

फाउचि ने भारत के संदर्भ में कही यह बात
डॉ. एंथनी फाउची ने हाल ही में न्यूज चैनल NDTV से बात करते हुए चेतावनी दी है और वैक्सिनेशन में हो रहे लम्बे अंतर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, वैक्सीन के दोनो डोज के अंतर का ज्यादा समय बढ़ाने से संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ सकता है और यह ब्रिटेन में भी देखा गया है। उन्होंने कोविड़ के ज्यादा संकृमक वेरिएंट डेल्टा पर ज़ोर डालते हुए कहा कि, वायरस को मात देने लिए लोगों को जल्द से जल्द टीके के दोनों डोज को लगाने की आवश्यकता है। जैसे की डेल्टा वेरिएंट भारत में देखा गया है  संक्रमण का फिर से बढ़ने का खतरा ज्यादा है और इसकी चिंता उन देशों को ज्यादा करनी चाहिए जिन देशों के पास वैक्सीन की कमी है। डॉ फाउची का यह भी कहना है की टीके के अंतर को बढ़ाने के बजाए तय समय में टीकाकरण करना चाहिए। अगर किसी देश के पास वैक्सीन की सप्लाई कम है तो गैप बढ़ना जरूरी भी हो जाता है।

40 - 50%  ज्यादा संक्रमक है डेल्टा वैरिएंट
कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वर्जन ही प्रमुख वैरिएंट था। एक्सपर्ट के मुताबिक यह वर्जन पुराने वर्जन से 40 से 50% ज्यादा संक्रमक है। कोरोना के इस वेरिएंट वाले देशों में आगे भी संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। खासकर भारत के कई राज्यों में डेल्टा वर्जन हावी हुआ है। यह वैरिएंट काफी तेज़ी से एक से दूसरे व्यक्ति को बहुत असरदार तरीके से फैलता है।

नॉन वैक्सिनेटेड व्यक्ति पर जल्दी हावी होता है डेल्टा वेरियंट
अमरीकी विशेषज्ञों के मुताबिक यह देखा गया है की डेल्टा वैरिएंट नॉन वैक्सिनेटेड व्यक्ति को ज्यादा तेज़ी से हावी होते हुए संक्रमित करता है। ब्रिटेन में भी इसके प्रमाण देखे गए हैं। डॉ फाउची ने सलाह भी दी है की जल्द से जल्द लोगो को वैक्विनेट करना होगा। तीसरी लहर से बचने के लिए लोगों को वैक्सिनेट करने की जरूरत है।