कट्टरपंथियों की टूटी कमर, मोदी सरकार ने पीएफआई को किया बैन, लोगों ने जम कर दी प्रतिक्रिया

स्टोरी हाइलाइट्स

भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां की डेमोक्रेसी दुनिया के लिए मिसाल है। भारत में इस देश का संविधान ही सर्वोपरि है जो इस देश की संप्रभुता की धुरी है, लेकिन मजहबी कट्टरता को पल्लवित करने वाले पीएफआई जैसे संगठन संविधान को नहीं मानने पर बल देते हैं और आतंकी विचारधारा को समर्थन देते हैं। अब जब पीएफआई और उसके अनुषांगिक संगठनों पर बैन लगाया गया है तो सरकार को साधुवाद देने वाले भी है औऱ घड़ियाली आंसू बहाने वाले भी।

नई दिल्ली, मध्य केसरी डेस्क। पीएफआई पर भारत सरकार ने 5 साल के लिए बैन लगा दिया है और महा एक्शन लेते हुए देशभर से इससे जुड़े सैकड़ों पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस संगठन पर संप्रदायिकता फैलाने और मनी लॉड्रिग जैसे कई संगीन आरोप है।

क्या है पीएफआई
आगे बढ़ने से पहले आपको बताते हैं की पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई क्या है। पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना है। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल हैं। देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे मिम्स
केंद्र सरकार के इस बड़े एक्शन के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई। यूजर्स पीएफआई को अपने-अपने अंदाज में ट्रोल करने में लगे हुए हैं। कुछ यूजर्स ने पीएफआई को ट्रोल करते हुए मीम्स भी शेयर किए हैं। सुबह जैसे ही पीफआई पर साल के बैन की खबर सामने आई है। सोशल मीडिया पर लोगों के अंदर खुशी की लहर दौड़ गई। तब से #pfiban ट्रेंड करने में लगा हुआ है। यूजर फनी मीम्स शेयर करते हुए अपनी खुशी जाहिर करने में लगे हैं। यूजर अपने ही अंदाज में इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा कि आधी रात को 2 बजे मोदी जी जापान से लौटे और सुबह 6 बजे शुभ समाचार आ गया #PFIBan

 

संविधान को नहीं मानने पर बल देता है पीएफआई
भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां की डेमोक्रेसी दुनिया के लिए मिसाल है। भारत में इस देश का संविधान ही सर्वोपरि है जो इस देश की संप्रभुता की धुरी है, लेकिन मजहबी कट्टरता को पल्लवित करने वाले पीएफआई जैसे संगठन संविधान को नहीं मानने पर बल देते हैं और आतंकी विचारधारा को समर्थन देते हैं। अब जब पीएफआई और उसके अनुषांगिक संगठनों पर बैन लगाया गया है तो सरकार को साधुवाद देने वाले भी है औऱ घड़ियाली आंसू बहाने वाले भी।

साजिशों की फेहरिस्त बहुत लंबी
पीएफआई का पूरा नाम है पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया है। पीएफआई पर टेरर फंडिग, देश के कई शहरों में दंगे फैलाने की साजिश और कई हत्याओं के आरोप है। ये मुख्तसर सी बात पीएफआई के खौफनाक मंसूबों का जिक्र भर है। इनकी साजिशों की फेहरिस्त बहुत लंबी है और जिस तरह से देशभर में पीएफआई के कार्यकर्ताओं  की गिरफ्तारी हुई है उसके बाद यकीनन वो सच बाहर आएगा जो देश की संप्रुभता को चोट पहुंचाने वालों की हकीकत बयां करेगा।

देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करना है पीएफआई का मकसद
एनआईए ने जिस तरह तमाम इनपुट जमा कर एक साथ कार्रवाई की है उससे पता चलता है कि पीएफआई किस तरह अंदर-ही-अंदर अपनी जड़े जमा रहा था। मकसद यही देश में अस्थिरता का माहौल पैदा करना। मुसलिम युवाओं को भड़काना और देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देना, जिसके लिए पीएफआई ने वैसा ही किया जैसा की आईएसआई और अलकायदा जैसे आंतकी संगठन करते है। 

जकात के नाम पर फंडिंग करता है पीएफआई
पीएफआई धार्मिक कट्टरता को हथियार बनाता है। अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए पीएफआई के पास पैसा कहां से आता है, तो आप को बतादें की पीएफआई जकात के नाम पर धन जमा करता है। भोले भाले मुसलमान इन्हे ये समझकर पैसा देते हैं कि उसका इस्तेमाल जरूरतमंदों की भलाई में खर्च होगा, लेकिन ये संगठन उस पैसे का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में खर्च किया जाता है। प्रवर्तन निदेशालय ने भी स्पस्ट किया है कि शाहीन बाग में दान में दिए गए पैसे बिना लेखा-जोखा के पाए गए हैं। इससे जाहिर है कि पीएफआई किस तरह जरूरतमंदों की मदद कर रहा है।

सीएए प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर दिल्ली दंगों के पीछे पीएफआई
पीएफआई के सदस्य केए रऊफ शरीफ पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग केस के मुताबिक उसे चीन से आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग मिलती है। ईडी का दावा है कि इसी फंडिंग से पीएफआई की तरफ से सीएए प्रदर्शन, सोशल मीडिया पर दिल्ली दंगों और बाबरी मस्जिद पर पोस्ट तैयार करके लोगों को भड़काने का काम किया गया। ईडी के मुताबिक केए रऊफ शरीफ ने हाथरस गैंगरेप मामले में लोगों को भड़काने का काम किया था। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार केए रऊफ शरीफ को चीन से मास्क का बिजनेस करने के लिए एक करोड़ की मदद मिली थी। एक और मामले में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया यानी एसडीपीआई नाम के संगठन के कलीम पाशा के नाम पर एक चीनी कंपनी से पांच करोड़ रुपये लोन लेने का आरोप है।

लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन के भी आरोप
टेरर फंडिंग के अलावा इस संगठन पर लव जिहाद और महिलाओं को धर्मपरिवर्तन भी कराने का आरोप है। केरल पुलिस ने एनआईए को जबरन धर्म परिवर्तन के संदिग्ध 94 मामलों की एक सूची भी सौंपी थी, जिसमें केंद्रीय एजेंसी से इन केसों की जांच करने और यह देखने के लिए कहा गया कि इसमें कोई संबंध तो नहीं है। एनआईए ने दावा किया था कि इनमें से कम से कम 23 शादियां पीएफआई ने करवाई थीं। पीएफआई पर आरोप है कि जब देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी पर प्रतिबंध लगा दिया गया तो इसके ज्यादातर नेताओं ने पीएफआई का दामन थाम लिया। पीएफआई शुरुआत से ही विवादों में रहा, उस दौरान भी उसपर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और नफरत फैलाने के आरोप लगते रहे है।

इन मामलों में भी पीएफआई कनेक्शन
2014 में केरल हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने एक हलफनामा दायर किया था, जिसके मुताबिक पीएफआई के कार्यकर्ता केरल में 27 राजनीतिक हत्याओं के जिम्मेदार थे। वहीं हलफनामें